म्यूचुअल फंड में निवेश करने के 2 तरीके है, पहला किसी म्यूचुअल फंड कंपनी में डायरेक्ट निवेश करें, उन पैसों को म्यूचुअल फंड कंपनी अलग-अलग जगह निवेश करती हैं. पैसा कहाँ निवेश करें, इसे मोटे तौर पर तय कर सकते हैं जैसे – लार्ज कैप, मिड कैप, मल्टी कैप या स्मॉल कैप फंड आदि.
इसके अलावा कई मामलों में आप सेक्टर फंड का चुनाव भी कर सकते हैं -जैसे फार्मा सेक्टर, आईटी सैक्टर, मिडिया सेक्टर आदि, हालांकि सेक्टर फंड का चुनाव बहुत अधिक अनुभवी निवेशकों द्वारा ही किया जाना चाहिए.
माइक्रो लेबल पर आपको फंड मैनेज करने की आवश्यकता नहीं होती नतीजतन फंड मैनेजमेंट कंपनी आपसे अतरिक्त रकम नहीं वसूलती
दूसरे तरीके में आप निवेश के लिए किसी म्यूचुअल फंड ब्रोकर की मदद ले सकते हैं, हालांकि इस तरीके में खर्च यानी एक्सपेंस रेश्यो थोड़ा बढ़ जाता है.
ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा की जब डायरेक्ट प्लान सस्ते हैं तो रेगुलर प्लान कौन खरीदते हैं और क्यों खरीदते हैं? इसका सीधा जवाब है -एक्सपर्ट ओपिनियन
अगर आप डायरेक्ट प्लान में निवेश करते हैं तो खुद के रिसर्च से और जरुरत के अनुसार सहीं फंड स्वतः ही चुनते हैं. परन्तु अगर आप रेगुलर प्लान में निवेश करते हैं तो कौन सा फंड आपके लिए सहीं है इसका चुनाव एक्सपर्ट करते हैं, हालांकि दोनों स्थिति में फंड का मैनेजमेंट फंड मैनेजर द्वारा ही किया जाता है.
रेगुलर प्लान में निवेश के अन्य कई फायदे हैं जैसे समय-समय पर एक्सपर्ट द्वारा पोर्टफोलियों का मुवायना, अतरिक्त सर्विस और सपोर्ट
अंत में राय यह है कि अगर आप खुद से फंड का चुनाव कर सकते हैं सहीं समय पर सहीं निर्णय ले सकते हैं तो डायरेक्ट प्लान में निवेश करें
परन्तु अगर आप समय-समय पर अतरिक्त सपोर्ट चाहते हैं, सहीं फंड का निर्णय नहीं कर पाते तो रेगुलर प्लान में निवेश करें.
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Disclaimer : यह आर्टिकल रिसर्च और जानकारियों के आधार पर बनाया गया है, हमारे द्वारा किसी भी प्रकार की फाइनेंसियल एडवाइज नहीं दी जाती अगर आप निवेश करना चाहते हैं तब सबसे पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें
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